बस अब और नहीं
इम्तिहान धीरज का वे देंगे कबतक?
बिना पंख के कहो उड़ेंगे वे कबतक?
बूढ़ी माता पूछ रही है रो-रो कर
सुध लेंगी उसकी ये संतानें कबतक?
खून शहीदी दौड़ रहा है नस-नस में
आखिर वे सब उसे सम्हालेंगे कबतक?
ओबामा को सुनो चुन लिया गाँधी ने
नाकारों का साथ भला देते कबतक?
देश नहीं तब क्या भाषा और क्या बोली,
राष्ट्रवाद के शंख-नाद होंगे कबतक?
ईजाद कर लिया उनने तो अपना मज्हब
"शलभ" ताब फतवों की और सहें कबतक?
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