गायत्री ब्रम्ह की इच्छा,शक्ति एवं क्रिया ही गायत्री है| उसी से जगत की उत्पत्ति,विकास तथा अवसान का आयोजन होता है|सुन्दरता,मधुरता ,संपत्ति,कीर्ति, आशा,प्रसन्नता,करुणा,मैत्री आदि के रूप में यह महाशक्ति ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को आनंदित एवं तरंगित करती रहती है|इस विश्वनारी की,महामाता की, महाविद्या की,महागायत्री की आराधना करके हम अधिकाधिक आनंद की ओर अग्रसर हो सकते हैं|परमानंद को प्राप्त करने का यही शाश्वत मार्ग है | पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य
गायत्री
जवाब देंहटाएंब्रम्ह की इच्छा,शक्ति एवं क्रिया ही गायत्री है|
उसी से जगत की उत्पत्ति,विकास तथा अवसान
का आयोजन होता है|सुन्दरता,मधुरता ,संपत्ति,कीर्ति,
आशा,प्रसन्नता,करुणा,मैत्री आदि के रूप में यह
महाशक्ति ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को आनंदित एवं
तरंगित करती रहती है|इस विश्वनारी की,महामाता की,
महाविद्या की,महागायत्री की आराधना करके हम अधिकाधिक
आनंद की ओर अग्रसर हो सकते हैं|परमानंद को प्राप्त करने का
यही शाश्वत मार्ग है |
पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य